कहत कबीर


कबीर का सच कठोर श्रम-जीवन में नैतिकता के उच्चतम प्रतिमान बनाते हुए अनुभव से उपजा सच है। किसी प्रकार के बाहरी ज्ञान की सहायता से उस सच को पाया नहीं जा सकता। उसकी प्राप्ति के लिए कबीर की रहनी का अनुसरण एकमात्र उपाय है।
आदरणीय प्रो रामदेव शुक्ल जी अपनी नवीनतम पुस्तक ‘कहत कबीर’ में ऐसा कहते हैं, “कबीर का सच पूरी तरह पकड़ में आ गया है, यह दावा करना असंगत है। इसी तरह उनकी बानी का अर्थ अंतिम रूप में यही है, जो मैं समझ रहा हूँ, यह कहना नादानी है। इतना ही कहा जा सकता है कि अपने गुरुजनों की कृपा से जो कुछ समझ में आया है, वह कबीर के अनुभव और प्रस्थान की दिशा में एक आरम्भ हो सकता है।’

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