रामदेव शुक्ल
रामदेव शुक्ल
(शाहपुर कुरमौटा, कुशीनगर)
गोरखपुर विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के आचार्य एवं अध्यक्ष पद से 1998 में निवृत्त। यूजीसी मेजर रिसर्च प्रोजेक्ट समन्वयक एवं इमेरिटस फेलो। भारत के प्रमुख विश्वविद्यालयों एवं यूरोप के आॅक्सफोर्ड, कैम्ब्रिज, रोमानिया, लंदन यूनीवर्सिटी, में ब्रज भाषा, अवधी एवं भोजपुरी विशेषज्ञ के रूप में कार्य। 1998 से 2007 तक विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की ओर से शोध परियोजना समन्वयक एवं इमेरिटस प्रोफेसर। ‘भारत-नेपाल सांस्कृतिक एकता: अवधी, भोजपुरी, मैथिली, नेपाली शब्दावली का अध्ययन’ (केन्द्रीय हिन्दी संस्थान, आगरा से प्रकाशित)। उपन्यास: ग्रामदेवता, संकल्पा (‘चैखट से बाहर’ नाम से पुनः प्रकाशित), विकल्प, मनदर्पन, अगला कदम (हिन्दी प्रचारक संस्थान से उपन्यासों के संग्रह ‘दस दिगन्त’ में ‘आगामी’ नाम से प्रकाशित), गिद्धलोक, अनाम छात्रा की डायरी, वसुन्धरा, गुर्जरी, भोजपुरी उपन्यास ‘ग्रामदेवता’ (फरवरी 2000 ई. में माॅरीशस में लोकार्पित, 2021 में पुनः प्रकाशित), भोजपुरी उपन्यास ‘कविता और कुदाल’ 2020 में सर्व भाषा ट्रस्ट से प्रकाशित।
कहानी संग्रह: उजली हँसी की वापसी, पतिव्रता, तीन लम्बी कहानियाँ, माटीबाबा की कहानी, नीलामघर, अपहरण और सुग्गी। हिन्दी की प्रमुख पत्रिकाओं में प्रकाशित शताधिक कहानियाँ। ‘ग्रामदेवता’, ‘माटीबाबा’, ‘किसका कितना खून’ आदि के अनुवाद बांग्ला, उड़िया और अंग्रेजी में प्रकाशित। ‘ग्रामदेवता’ और ‘बेघर बादशाह’ के अंग्रेजी में ‘विलेज गाॅड्स’ और ‘अ किंग विदाउट होम’ नाम से एक्सिस बुक्स द्वारा प्रकाशित।
नाटक: ‘राजनीति के खिलाड़ी’/कुछ रेडियो नाटक।
आलोचना: निराला के उपन्यास, घनानन्द का काव्य, घनानन्द का शृंगार काव्य, सामंती परिवेश की जनाकांक्षा और बिहारी, सामंती परिवेश का यथार्थ और बिहारी का काव्य, हिन्दी के प्रमुख नाटककार-प्रसाद एवं निराला के कथा-गद्य का आस्वादन आदि।
विशेष पुस्तक: रसमूर्ति घनआनँद, हिन्दी संस्थान उत्तर प्रदेश, लखनऊ (2021)
सम्पादन: मोती बी.ए. ग्रन्थावली (नौ खण्डों में), सुधाबिन्दु ग्रन्थावली (तीन खण्डों में), सर्जना के तीन रंग (हिन्दी के तीन कवियों ‘जीवन’, ‘विज्ञ’ और ‘बंगाली’ की कविताएँ) सत्यनारायण मिश्र रचनावली एवं विज्ञ रचनावली, स्मरणांजलि।
सम्मान: तिब्बती भाषा में डिप्लोमा में प्रथम स्थान के लिए स्वर्ण पदक (1957), गोरखपुर विश्वविद्यालय स्वर्ण पदक (1959), सेतु शिखर सम्मान, श्रुतिकीर्ति शिखर सम्मान, भारतेंदु हरिश्चन्द्र सम्मान, विद्याभूषण सम्मान, सुधाविन्दु सम्मान, भारत भारती शताब्दी सम्मान एवं हिन्दी गौरव आदि।
सम्पर्क: शीतलसुयश, राप्ती चैक, आरोग्य मन्दिर, गोरखपुर।