BHARTIYA MANAS AVAM BAL LOK SAHITYA
लोक कथाओं, लोक गाथाओं एवं लोक नाट्यों का अध्ययन लोक साहित्य के अंतर्गत किया जाता है जिन्हें बाल साहित्य का अंग पूर्ण रुपेण नहीं माना गया हैं। वरिष्ठ समीक्षक-आलोचक डाॅ. हरेराम पाठक जी ने इस पुस्तक ‘भारतीय मानस एवं बाल साहित्य’ जो कि भोजपुरी और असमिया के संदर्भ में हैं, में लोक कथाओं, लोक गाथाओं और लोक नाट्यों को बाल लोक साहित्य के अंतर्गत समेटा और विवेचित किया है। पुस्तक का आवरण सुश्री अनु प्रिया जी का है।