Shoonya Kaal Jo Suna Nahin Gaya

‘‘संविधान के पन्नों पर/खड़ी थी देश की संसद/और संसद की सदनों के लिए/खड़ी थीं चमकीले पत्थरों वाली इमारतें/जहां लिखी जाती थीं/करोड़ों आम जनता के लिए इबारतें…’’। ये पंक्तियां हैं वरिष्ठ साहित्यकार एम. के. मधु जी

BHARTIYA MANAS AVAM BAL LOK SAHITYA

लोक कथाओं, लोक गाथाओं एवं लोक नाट्यों का अध्ययन लोक साहित्य के अंतर्गत किया जाता है जिन्हें बाल साहित्य का अंग पूर्ण रुपेण नहीं माना गया हैं। वरिष्ठ समीक्षक-आलोचक डाॅ. हरेराम पाठक जी ने इस

MANGAL PRABHAT KI PRATIKSHA ME

मनोविद्, विचारक एवं संस्कृति के अध्येता प्रो. गिरीश्वर मिश्र हिन्दी साहित्य के एक लोकप्रिय सेवक हैं। विगत पांच दशकों के शैक्षिक एवं अकादमिक जीवन में गोरखपुर, इलाहाबाद, भोपाल तथा दिल्ली विश्वविद्यालय में प्राध्यापन के बाद

काव्य-लहरियाँ

अपनी व्यावसायिक-भूमि अंडमान के अपने जीवन-अनुभव, दृष्टि-अनुभव और भाव-अनुभव को काव्य-रूप में प्रस्तुत करने वाले विजय अंडमानी जी मूल रूप से जम्मू से हैं और उनका निवास भोपाल में भी हैं। उनकी हर तेवर की

डोगरी व्याकरण ते संवाद कौशल

जम्मू कश्मीर कला,संस्कृति एवं भाषा अकैडमी में सहायक संपादक, हिन्दी, डोगरी पंजाबी एवं अंग्रेजी भाषाओं के ज्ञाता यशपाल निर्मल जी सदा साहित्य की सेवा में संलग्न रहने वाले व्यक्ति हैं। आपकी पुस्तकें हिन्दी, भोजपुरी, अंग्रेजी,

हिंदी अनुरागी मुख्यमंत्री

‘हिंदी अनुरागी मुख्यमंत्री’ एक ऐसी महत्त्वपूर्ण पुस्तक है जिससे अनेक पाठकों और संपादकों को प्ररेणा मिलेगी। मेरी दृष्टि में यह एक प्रेरणादायक और ऐतिहासिक पुस्तक है। डाॅ. किरन पाल सिंह जी द्वारा संपादित यह पुस्तक

हाइकु सिंधु

यशपाल निर्मल का जन्म 15 अप्रैल 1977 को जम्मू-कश्मीर के सीमावर्ती गांव गढ़ी बिशना में श्रीमती कांता देवी और श्री चमन लाल शर्मा के घर पर हुआ। आपने जम्मू विश्वविद्यालय से डोगरी भाषा में स्नातकोतर

क्रांतिदूत, भाग-3 (मित्रमेला)

उपन्यास्मृति या उपन्यास्मरण शृंखला के रूप में, आपके समक्ष प्रस्तुत है क्रांतिदूत, भाग-3 (मित्रमेला) की एक अनसुनी दास्ताँ! अनजाने क्रांतिदूतों की यह जीवन गाथा, क्रांतिदूतों के विचारों और चरित्रों को सर्वप्रधान रखते हुए उन्हें पाठकों

क्रांतिदूत (भाग-1)

डॉ मनीष श्रीवास्तव जी द्वारा लिखित और इंडिका के सौजन्य से क्रांतिदूत शृंखला के अंतर्गत 10 किताबों का संकलन प्रकाशित किया जाना है। भारत के सुने-अनसुने, जाने-अनजाने क्रांतिदूतों की यह जीव- गाथा आपको उनके समय

क्रांतिदूत (भाग-2)

डॉ मनीष श्रीवास्तव जी द्वारा लिखित और इंडिका के सौजन्य से क्रांतिदूत शृंखला के अंतर्गत 10 किताबों का संकलन प्रकाशित किया जाना है। भारत के सुने-अनसुने, जाने-अनजाने क्रांतिदूतों की यह जीव- गाथा आपको उनके समय

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