Category: New Releases
हरित उलगुलान
‘हरित उलगुलान’ श्री कनक किशोर जी कविताओं का नवीनतम संकलन है। इस संकलन की कविताएँ वन-प्रेम की कविताएँ हैं- बेहद पीड़ित और आह भरी जिसकी प्रत्येक पंक्तियाँ जल, जंगल, जमीन और नदी-झरनों के अवसाद से
भारतीय संस्कृति के गकार प्रतीक
कटिहार (बिहार) निवासी डॉ बिन्देश्वरी प्रसाद ठाकुर ‘बिपिन’ जी को उनकी सुदीर्घ हिन्दी सेवा, सारस्वत साधना, कला के क्षेत्र में महत्वपूर्ण उपलब्धियों, शैक्षिक प्रदेयों, महनीय शोधकार्य तथा राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय प्रतिष्ठा के के लिए सदैव याद किया
निराला की कविताओं में सांस्कृतिक राष्ट्रवाद
सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ की कविता में राष्ट्रवाद के अंतर्गत, ‘राष्ट्र’ को केवल एक राजनैतिक इकाई न मानकर, एक सांस्कृतिक औऱ सामाजिक उन्नयन की इकाई माना गया। ‘राष्ट्र’ कोई भौतिकवादी तुच्छ अवधारणा नहीं है, यह एक
ज्योतिष के मुख्य बिन्दु
हमारी संस्कृति में धार्मिक कर्मकाण्डों की बहुत मान्यता है। हमारे सारे संस्कार ऋषिनिर्दिष्ट श्रुति-स्मृतिविहित विधियों पर ही चलते हैं। उसमें पंचांगों का अधिक उपयोग होता है। यदि पंचांगों का अच्छा से अध्ययन किया जाए तो
Linguistic Kaleidoscope: Celebrating Azadi Ka Amrit Mahotsav
‘Linguistic Kaleidoscope: Celebrating Azadi Ka Amrit Mahotsav’ is a response of academicians from across the country to the Indian government’s clarion call to commemorate and celebrate 75 years of India’s Independence. The anthology brings together
बनारसी घाट का ज़िद्दी इश्क़
बनारस शहर नहीं, शख्सियत है। अजब है इसका मिज़ाज और गज़ब है इसकी आशिकी। इसके इश्क में भी तिलिस्म है। ऐसा तिलिस्म जिसमें मैं बनारस में और बनारस मुझमें बसता है। बड़े तहजीब और अदब
फिर लौट आया हूँ मेरे देश
फिर लौट आया हूँ मेरे देश! यह निबंध-संग्रह मेरे चुने हुए ललित निबंधों का संकलन है। निबंध मेरी मुख्य रचना विधा नहीं रहा है किंतु फिर भी उसके साथ भी काफी दूर तक चला हूँ।