KATHPUTARI
भारतीय संस्कृति समासिकी है फिर भी यहाँ के लिए नारीवाद के मायने अन्य समाजों से अलग नहीं हैं। भारतीय महिलाओं के लिए समान राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक अधिकारों को परिभाषित करने, स्थापित करने, समान अवसर प्रदान करने और उनका बचाव करने के उद्देश्य से नारीवादी आंदोलन सदा होते रहे हैं। यह भारत के समाज के भीतर महिलाओं के अधिकारों की संकल्पना है। दुनिया भर में अपने नारीवादी समकक्षों की तरह, भारत में नारीवादी: लैंगिक समानता, समान मजदूरी के लिए काम करने का अधिकार, स्वास्थ्य और शिक्षा के लिए समान पहुंच का अधिकार और समान राजनीतिक अधिकार चाहते हैं।भारतीय नारीवादियों ने भारत के पितृसत्तात्मक समाज के भीतर संस्कृति-विशिष्ट मुद्दों जैसे कि वंशानुगत कानून और सती जैसी प्रथा के खिलाफ भी लड़ाईयाँ लड़ी है परन्तु आज भी अधिकांश समाज की नारी पुरुषों के इशारे पर ही ‘कठपुतली’ की भाँति गतिशील रहती है।
श्री कनक किशोर जी ने अनेक भाषाओं की नारी विषयक कविताओं का भोजपुरी अनुवाद ‘कठपुतरी’ के रूप में किया है। यह ‘कठपुतरी’ अब आपके हाथों में है। पुस्तक का आवरण युवा चित्रकार मिठाई लाल जी ने तैयार किया है।