KHOO : VAISHVIK BANDHUTVA KA SETU


डॉ अशोक कुमार ‘मंगलेश’ जी हिंदी और अनुवाद साहित्य के आज एक ऐसे विशिष्ट रचनाकार हैं जिनकी बहुमुखी प्रतिभा, प्रयोगधर्मिता के सांचे में ढलकर, नित नए साहित्यिक कीर्तिमान उद्घाटित करती है। स्वैच्छिक रक्तदान केंद्रित हिंदी कविताओं अनूदित संग्रह ‘खूँ : वैश्विक बंधुत्व का सेतु’ शीर्षक से प्रस्तुत किया है। संग्रह में अपने भारत देश की इक्कीस भाषाओं-बोलियों में अनूदित छह प्रतिनिधि कविताएं सम्मिलित हैं। इसमें विशेष उल्लेखनीय बात यह है कि विभिन्न भाषाओं में अनूदित कविताएं ज्यों- की-त्यों मूलभाषा में संकलित कर प्रस्तुत किया गया है जिससे अन्य भाषा-भाषी पाठक को इन्हें पढ़ने में सुविधा तो होगी ही, विभिन्न भाषाओं के साम्य- वैषम्य की सम्यक झलक भी उन्हें प्राप्त होगी। अन्य विशेष बात है कि डॉ. ‘मंगलेश’ की कविताओं को पढ़ने के साथ- साथ ही विभिन्न भाषाओं के पाठक को विभिन्न भाषाओं का तुलनात्मक अध्ययन- मनन का सुअवसर भी प्राप्त हो सकेगा।

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