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Akath Prem

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डॉ० रजनी रंजन के कथा संग्रह ‘अकथ प्रेम’ धुंध में अलोप होखल जात सपना के पीछू बदहवासल धावाधाई के बखान ना ह, बलु जिनिगी के बिसमता में धीरिजा के बुनियाद प ठाढ़ जिजीविषा के जद्दोजहद ह। हालिया बखत में बुजुर्ग पीढ़ी के प्रति उदासीनता के पैठ कवनों सकारात्मक बदलाव के चिन्हाँसी ना ह, कहीं-ना-कहीं ई जुग के अनुभव से उपजल सांस्कृतिक मोल के अपघटन के सूचक ह।” – श्री दिनेश पाण्डेय की ये पंक्तियाँ कथाकार डॉ रजनी रंजन जी की उपस्थिति का स्वागत भी है और उनकी भोजपुरी कहानियों का कद भी है। आज डॉ० रजनी रंजन जी के भोजपुरी कहानी संग्रह ‘अकथ-प्रेम’ प्रस्तुत करते हुए हमें भी अपार प्रसन्नता हो रही है। आवरण श्री मिठाई लाल जी का है।

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