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AAGAMI

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विश्व की जनसंख्या निरंतर बढ़ती जा रही है। पृथ्वी का पर्यावरण प्रदूषण के कारण मानव जीवन के प्रतिकूल होता जा रहा है। भावी पीढ़ियों के लिए पीने के लिए साफ पानी और सांस लेने के लिए साफ हवा कम होती जा रही हैं। उपन्यास ‘आगामी’ का वृक्ष-मानव अपना भोजन, पानी और उर्जा स्वयं निर्मित कर लेगा। दूसरी बड़ी समस्या मनुष्य में लगातार बढ़ती जा रही यौवन आक्रमकता की है। वृक्ष-मानव के भीतर एक ऐसा सिस्टम होगा जो विषमलिंगी के प्रति आक्रामकता का उदय होते ही उसे एक तीव्र झटका देगा जिससे वह उस संवेदना से शून्य हो जायेगा। जेनेटिक इंजीनियरिंग और कृत्रिम मस्तिष्क की सहायता से वृक्ष-मानव हर तरह की आक्रमकता से मुक्त होता जायेगा। तब शान्ति के नाम पर युद्ध सामाग्री का व्यापार करने वालों का धंधा भी बंद हो जायेगा।
वरिष्ठ साहित्यकार प्रो रामदेव शुक्ल जी का विज्ञान-कथा पर आधारित उपन्यास ‘आगामी’ अपने आप में एक नया विषय भी है और भविष्य के मनुष्य की वाणी भी।

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