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Ab Aur Nahin
₹120.00
समाजिक सम्बन्धों और संबंधों के नाम पर घटती घटनाओं से प्रेरित कहानियाँ समय की माँग ही नहीं, आवश्यकता भी हैं। हालात-ख्यालात के साथ खुद को जोड़ लेना रचनाकार की सहज प्रवृत्ति है। लघुकथा-संग्रह ‘अब और नहीं’ में डॉ मधुबाला सिन्हा जी के उसी सहज प्रवृत्ति से उपजी लघुकथाएँ हैं। आज ‘अब और नहीं’ आपके समक्ष प्रस्तुत करते हुए अपार प्रसन्नता हो रही है। आवरण आदरणीय कुँवर रवीन्द्र जी का है। पुस्तक शीघ्र ही आपके हाथ में होगी।
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