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BHIYA KE TEJASVI PANKHE

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समसामयिक विषयों पर आलेख, कविता, व्यंग्य लिखने वाले अधिवक्ता व अतिथि प्राध्यापक भूपेंद्र भारतीय जी एक संवेदनशील व्यक्ति हैं। उनके नवीनतम व्यंग्य-संग्रह ‘भिया जी के तेजस्वी पंखे’ के बारे में वरिष्ठ साहित्यकार ब्रजेश कानूनगो जी लिखते हैं कि ‘भिया के तेजस्वी पंखे’ शीर्षक देखकर कोई यह भी समझ सकता है कि भैया यह कौनसा पंखा है जो इतना तेजस्वी है? दरअसल मालवा के छोटे कस्बों में गली मोहल्ले की भाषा में छूट भैय्या नेताओं के पिछलग्गुओं को कहीं छर्रे और कहीं पंखे संबोधन से भी पुकारा जाता है। ऐसे ही कुछ देशज और बोलचाल में प्रयुक्त होने वाले रोचक शब्दों और ठेठ स्थानीय तेवरों में व्यंग्य और हास्य का तड़का लगाना भूपेंद्र भारतीय के लेखन की एक विशिष्ठ पहचान कही जा सकती है। ‘भिया के तेजस्वी पंखे’ का आवरण डॉ देवेंद्र शर्मा जी ने तैयार किया है।

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