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Bhojpuri Sahitya : Haal Filahal

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साहित्य की विभिन्न विधाओं की तरह आलोचना का विकास भी प्रमुख रूप से आधुनिक काल की देन है। आज आलोचना का जो साहित्यिक स्वरुप है उसका आरम्भ आधुनिक साहित्य के साथ साथ हुआ है। भोजपुरी आलोचना की अगल परिपाटी को तार्किक और दृढ़ रूप से प्रस्तुत करने वाले आदरणीय बलभद्र जी की नवीनतम पुस्तक ‘भोजपुरी साहित्य: हाल फिलहाल’ अब अमेज़न पर उपलब्ध है। भोजपुरी भाषा व साहित्य को समृद्ध दृष्टि से समझने-पढ़ने में यह पुस्तक पाठकों को पसंद आएगी। पाठकों की आलोचना/आत्मालोचना की दृष्टि समृद्ध होगी।

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