Description
कविता के बारे में कहल गइल बा कि अदिमी जब तक रही, कविता ज़िंदा रही। आ एको अदिमी रही त कविता मरी ना। तवने बात साफ साबित भइल। अदिमी आपन सब गंवा दिहल बाकिर कविताई ना छोड़लस। जम के कविताई भइल एह काल में। केहू रोवल, त केहू गावल, केहू घिघिआइल त केहू देवता-देवी के मनावल। केहू ढाढ़स बन्हावल त केहू विज्ञान के, चीन के गरियावल। माने दुनिया के सब भाषा के लोग अपना-अपना राग में कविताई के अलापल। भोजपुरियो कवि लोग आपन काम कइल, चुप ना रहल, एह ‘कोरोना काल के भोजपुरी कविताई’ में दुनिया के बहुरंगी चित्र बा। कवि लोग रहे भा मत रहे, उनुकर कविताई ज़िंदा रही।
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