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Dhai Aakhar Bhul Gaye
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कबीरदास का यह मानना है कि अगर मुनष्य ने अपने अंदर प्रेम रूपी धन को नहीं उतारा तो उसका सारा पढ़ना-लिखना, सारा ज्ञान निष्प्रयोजन है। इसी बात को तमाम कवियों और शायरों ने अपने गीतों-ग़ज़लों के माध्यम से स्वीकारा है। श्री आर डी एन श्रीवास्तव जी के शेरों, मेरी ग़ज़लों की प्रेरणा के जड़ में यह प्रेम की चेतना ही है।
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