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FIJI MEI HINDI: VIVIDH PRASANG

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औपनिवेशिक प्रशासकों और उनके सरदारों द्वारा लंबी यात्रा के दौरान तथाकथित गिरमिटियों के या बंधुआ मजदूरों, पुरुषों, महिलाओं और बच्चों के साथ किए गए धोखे एवं दुव्र्यवहार आदि को लेकर प्रचुर इतिहास लेखन हुआ है और साहित्य भी लिखा गया है। विगत दशकों में ब्रिटिश शिक्षा पाए हुए लोगों और पश्चिमी लेखकों के साथ-साथ फ़ीजी के लेखकों द्वारा बहुत कुछ लिखा गया है।
जामिया मिल्लिया इस्लामिया (केंद्रीय विश्वविद्यालय) के हिंदी अधिकारी डाॅ. राजेश कुमार ‘माँझी’ जी के संपादन में ‘फ़ीजी में हिंदी: विविध प्रसंग’ जैसी महत्वपूर्ण पुस्तक है। इसमें विद्वानों के विचार पाठकों के मन में जन्म लेते अनेक प्रश्नों का तार्किक उत्तर भी देंगे और हिंदी भाषा के प्रति गर्व की अनुभूति भी है।

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SKU: 978-93-93605-92-4 Category:

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