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HAR LAMHA QAID HAI ZINDAGI

210.00

आज आपके समक्ष फ्रेंकलिन निगम के कविता संग्रह ‘हर लम्हा क़ैद है ज़िंदगी’ प्रस्तुत करते हुए अपार प्रसन्नता हो रही है। फ्रेंकलिन वर्ष 2000 में ‘कौन बनेगा करोड़पति’’ के पहले सीजन में हिंदी रिसर्चर राइटर के तौर पर व्यावसायिक जीवन की शुरुआत करते हैं। वे अपने जीवन की अनेक बाधाओं को सहजता और स्थिरता से भोगते-पार करते हुए, झुग्गी-बस्ती के जीवन का अनुभव करते, अनेक उतार-चढ़ाव से गुजरते हुए कविताओं का सृजन करने वाले कवि हैं। लेडी श्री राम कॉलेज के पत्रकारिता विभाग की प्रमुख, जेल सुधारक और तिनका तिनका की संस्थापक डॉ. वर्तिका नन्दा जी कहती हैं, “फ्रेंकलिन निगम की कविताएँ, ज़िंदगी की हकीक़त से उपजी हुई हैं। एक पत्रकार के तौर पर अपने सफ़र के दौरान फ्रेंकलिन ने अपने परिवेश को अपने अंदर बचा के रखा। संवेदनहीन पत्रकारिता के बीच संवेदना से भरे ये शब्द आश्वस्त करते हैं। क्योंकि उस बात मे कोई शक नहीं कि जिसके अंदर कविता बची रहती है उसी के अंदर बेहतर इंसान बने रहने की गुंजाइश भी होती है। इन कविताओं को मैं छोटे शहरों से लेकर बड़े शहरों के बीच शब्दों के यथार्थवादी रेले के तौर पर देखती हूँ…” आवरण आदरणीय अशोक भौमिक जी का है।

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SKU: 978-9393605443 Category:

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