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Harit Ulgulaan

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‘हरित उलगुलान’ श्री कनक किशोर जी कविताओं का नवीनतम संकलन है। इस संकलन की कविताएँ वन-प्रेम की कविताएँ हैं- बेहद पीड़ित और आह भरी जिसकी प्रत्येक पंक्तियाँ जल, जंगल, जमीन और नदी-झरनों के अवसाद से बोझिल हैं। पहाड़ और जंगल गंजेपन के दौर से गुजर रहे हैं, सूखती नदियों की पंकिल सिकुड़न में कराह का स्वर है। यह सब कवि मन में चुभन पैदा करता है। जंगल, जमीन और जल की पृष्ठभूमि की कविताओं का संकलन आपके हाथों में होगा।

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