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HARIYARI ROPAT HATHELI

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आचार्य-कवि हरेराम त्रिपाठी ‘चेतन’ जी कहते हैं- “लेखन के बिरासत के सिर प मुरेठा अइसन बान्हि के गाँव के सपना, साँस, पलकन के पुलक आ आँखिन के अन्दरूनी कोरन के सूखल सिकुरल आस-भरोस के सँजोके, सावधान सजग बाकिर गंभीरता से ‘‘हरियरी रोपत हथेली’’ के सहारा देत कवि कनक किशोर के भोजपुरी साहित्य के आँगन में गमगमात रचना-गुलदस्ता के साथ प्रवेश हो रहल बा-धरती के सुरूज के आ मर्कइ के रंग वाली चांदनी के झूमत धानबालिन के प्रणाम करत। कवि कनक किशोर गाँव से, गाँव के लोग से आ गँर्वइ संस्कृति से पलक-प्राण के सहन तक लगाव रखेवाला रचनाकार बाड़े। गाँव के भाव-भूइ के उपजाऊ बनावे के भरपूर भंगिमा लेके भोजपुरी साहित्य के दयार में आइल बाड़े-संकल्प, कल्पना, गँर्वइ राग-लय के अनुभूति, भाव आ विवेक के बीया लेके। “

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SKU: 978-8194814627 Category:

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