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KARKE TO DEKHIYE

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जीवन निरंतर सीखने की प्रक्रिया है। प्रत्येक दिन हमें कुछ न कुछ सिखा जाता है। इस बार प्राप्त ज्ञान से व्यक्ति मानसिक और बौद्धिक रूप से अधिक परिपक्व होता जाता है। जीवन व्यक्ति की अनौपचारिक पाठशाला है। इसके लिए न तो पाठ्यपुस्तकों का अध्ययन करना पड़ता है, न ही परीक्षाएँ उत्तीर्ण करके अगली कक्षाओं में जाना पड़ता है। जो व्यक्ति प्रत्येक दिन को गंभीरतापूर्वक जीता है, नियमपूर्वक जीता है, अनुशासनबद्ध होकर जीता है, वही जीवन को सार्थकता से जीता है। वही सफलताओं के मार्ग पर अग्रसर रहता है। सुनील सिन्हा जी के लघु व प्रेरक लेखों का संग्रह ‘करके तो देखिए’ अब पाठकों के हाथ में है।

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