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Kuchh Mai Kahun Kuchh Tum Suno

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प्यार हो या परिवार हो, समाज हो या संस्कार हो, नारी मन कई बार बहुत कुछ कहने की इच्छा रखते हुए भी नहीं कह पाता। कवयित्री दीपशिखा श्रीवास्तव ‘दीप’ ने सलीके से अपनी बात को कहा भी है और सुनने पर विवश भी किया है। ‘कुछ मैं कहूँ, कुछ तुम सुनो’ कविता-संग्रह को पढ़ते हुए आप कवयित्री की तार्किक प्रस्तुति से विस्मित भी होंगे और प्रस्तुति का क़ायल भी।

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