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Manva Ke Baat

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मनवा के बात आज आ गइल, किताब के चेहरा देख के इहे लागल कि एकरा बहुत पहिले आ जाये के रहल। मनवा के बात सही माने में मनवे के बात बा, मन में बसल जेतना कुछ भाव रहे, सरोज दी ओके किताब में उतार देहले बाटीं। भोजपुरी के साहित्य में “मनवा के बात” एगो अइसन तारा बा, जौन आवे वाला समय में भोजपुरी के अउर ऊपर ले जाइ। जिनगी आसान नइखे, सबके पता बा, लेकिन रोज़ का का कैसे होये ला और केतना कुछ मन में चले ला, ई किताब ओकर बानगी बा।-नीरज

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SKU: 978-8194814641 Category:

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