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Meghasulochaniyam

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‘मेघसुलोचनीयम्’ महर्षि पुलस्त्य पौत्र वीर मेघनाद के जीवन पर आधारित खण्ड काव्य है। इस खंडकाव्य के रचनाकार मोहन पाण्डेय जी की दृष्टि में मेघनाद एक ऐसा पात्र है जिसने अपने कुल की मर्यादा और पिता की इच्छा के आगे अपनी मृत्यु का वरण करता है। जब संग्राम में उसके सभी अस्त्र निष्फल हो जाते हैं तो उसने स्पष्ट जान लिया कि श्री राम और लक्ष्मण अवतारी पुरुष हैं। उनसे युद्ध करना व्यर्थ है परंतु पिता लंकापति रावण के हठ के आगे विवश था। युद्ध में वीरता के साथ लड़ता है और परमगति को प्राप्त करता है। पुस्तक का आवरण चित्र आदरणीय अशोक भौमिक जी का है।

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