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PATRA-DEEP

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कहना न होगा कि लेखकों के मध्य अनेक प्रश्नों व साहित्यिक प्रसंगों को लेकर पत्राचार होते ही रहे हैं। किन्तु संपादक के रूप में हरे राम त्रिपाठी ‘चेतन’ जी ने एक वृहत्तर लेखक समुदाय से संपर्क कायम रखा था तथा आज भी इसके देश के कोने-कोने में अनेक पाठक व साहित्यकार मौजूद हैं जिनके सहकार से पत्रिका निर्वाध गति से चल रही है। चेतन जी स्वयं गणमान्य कवि व विचारक हैं तथा अनेक विधाओं में पूरे दखल के साथ लिखते व स्थापित हैं। उन्होंने अपनी अगुवाई में झारखंड में एक ऐसा साहित्यिक समाज विकसित किया है जिसके भीतर साहित्यिक लेखन को लेकर एक प्रगामी चेतना मौजूद है। ‘समकालीन अभिव्यक्ति’ का पत्र स्तंभ सदैव पाठकों के दो टूक विचारों के लिए खुला रहता था। उसी का नतीजा है कि देश के कोने-कोने से ‘समकालीन अभिव्यक्ति’ को पत्र मिलते रहे हैं जिनमें लेखक प्रकाशित रचनाओं के बारे में अपने मंतव्य संपादक को भेजते रहे हैं। उन्हीं पत्रों का एक सजग संकलन है यह जिससे लेखक-संपादक के मध्य का सौहार्द प्रकट होता है।

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SKU: 978-9395518031 Category:

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