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Sanskritik Tattvabodh
₹270.00
एक ही विषय पर मतैक्य के अभाव में अनेक विद्वानों की अनेक बातें देखी-सुनी जाती हैं। ऐसे में धर्म क्या है, यह बताना अँधेरे में कोई चीज खोजना व तीर मारना है। तब! उपाय है कि बुद्धि-विद्या और आचार में जो वृद्ध हैं, उनका अनुगमन किया जाए।
वरिष्ठ साहित्यकार, ज्योतिष और धर्म-शास्त्र विशेषज्ञ आचार्य मार्कण्डेय शारदेय जी की कृति ‘तत्त्वचिन्तन’ के बाद इस ‘सांस्कृतिक तत्त्वबोध’ में ऐसे मनूक्त मार्गों का आश्रय लिया गया है। यह भी तत्त्वचिन्तन के ही विषयों पर आधारित है। इस पुस्तक से भी पाठकों, ज्ञान-पिपासुओं और अध्येताओं को अनेक स्तर पर लाभ होगा।
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