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Sungun

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जइसे भोर के ओसहीं साँझ के दिन के, रात के, नदी के पहाड़ के, जाड़ा, गर्मी, बरसात के, नीन के, जाग के, राग-विराग के आ अउरियो बहुत-बहुत के जानल-अजानल जाने कतने रंग बा इहाँ, कतने ढंग, जाने कतना कुछ कहत- बतियावत! कहाँ से आइल बा एह कवि के पास अइसन तकान आ अइसन तकावन के अइसन कबिलाँव एकरा में जाइब त संस्कृत कविता के भोजपुरी में गहे-कहे के एह कवि के जवन एगो शुरुए से, आ अनवरत किसिम के कोशिश रहल बा, तवना के महातम समझ में आई। समझ में आई कि काव्यभाषा के रूप में भोजपुरी के आपनपन के भिरियाँव, नजदीकी, हिन्दी से नइखे ओतना, जतना सीधे संस्कृत से बा। – नवीनतम कविता संकलन ‘सुनगुन’ के आमुख का यह भाग आदरणीय प्रकाश उदय जी द्वारा लिखा गया है। भोजपुरी कविता-आकाश के सबसे अलग सितारा के रूप में दिनेश पाण्डेय जी किसी के परिचय के मोहताज नहीं हैं। वे छपाने से अधिक छुपाने की प्रवृत्ति वाले कवि हैं। आज दिनेश पाण्डेय जी की पुस्तक ‘सुनगुन’ प्रस्तुत करते हुए अपार हर्ष हो रहा है।

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