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Unchi Atariyon Ki Sisakiyan

120.00

नारी का क्रंदन और करुणा, काया और कल्पना, कर्तव्य और कोफ़्त सब कुछ तो साहित्य में दर्ज़ होता आया है, मगर कथाकार बिम्मी कुँवर सिंह जी अपनी पहली पुस्तक ‘ऊँची अटरियों की सिसकियाँ’ में जिस सलीके के अपनी कहानियों को प्रस्तुत किया है, वह कभी-कभी देखने को मिलता है। इस पुस्तक में नाउम्मीदी है तो उसी गुहांधकार में कोई पात्र उम्मीद का दीपक भी जला रहा है, तड़प है तो वही किसी दोपहरी में किसी छायादार पेड़ के नीचे युगल का प्रेमालाप है। बेवफ़ाई है तो क्षमा भी है, करुणा भी है और कसक भी है।

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