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VYAKHYA
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किसी गम्भीर विषयवस्तु का सरलता से लोकहित में व्याख्या करना मुकुलित कमल को विकसित करना है, किसी गुप्त को प्रकट करना है। इससे व्याख्येय की ग्राह्यता में वृद्धि होती है और योग्य व्याख्याता की कला भी धन्य हो जाती है; इसीलिए व्याख्या की व्यापकता है। चाहे कोई भाषा हो, साहित्य की कोई विधा हो, खासकर जहाँ जो गूढ़ है, उसे समझने-समझाने का मुख्य आधार यही है। यह स्वयं भगवती सरस्वती का भी पर्याय व रूपविशेष है। नव प्रस्तुति ‘व्याख्या’ संस्कृत, हिन्दी एवं भोजपुरी के यशोधन साहित्यकार पं. मार्कण्डेय शारदेय द्वारा लिखित तथा अनेक पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित उनके 51 संस्कृत आलेखों की संचिका है। इसकी विशेषता है कि संस्कृत को इतना सरल किया गया है कि हिन्दीभाषी भी सहजतया अर्थग्रहण कर विविध विषयक रचनाओं का आनन्द ले सकते हैं।
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