Shoonya Kaal Jo Suna Nahin Gaya
‘‘संविधान के पन्नों पर/खड़ी थी देश की संसद/और संसद की सदनों के लिए/खड़ी थीं चमकीले पत्थरों वाली इमारतें/जहां लिखी जाती थीं/करोड़ों आम जनता के लिए इबारतें…’’। ये पंक्तियां हैं वरिष्ठ साहित्यकार एम. के. मधु जी की आगामी पुस्तक ‘शून्यकाल जो सुना नहीं गया’। मधु जी 1980 से 1990 तक पत्रकारिता, बिहार के प्रतिष्ठित अंग्रेजी दैनिक ‘इंडियन नेशन’ तथा राष्ट्रीय अंग्रेजी दैनिक ‘अमृत बाजार पत्रिका’ से संबद्ध रहे। आपने बिहार की पहली रंगमंच पत्रिका ‘अभिरंग’ एवं अंग्रेजी साप्ताहिक ‘नेशनल लाइफ लाइन’ का संपादन भी किया। बिहार विधान परिषद् के प्रशासी पदाधिकारी, हिन्दी प्रकाशन के रूप में परिषद् की पत्रिकाएं ‘परिषद् दृष्टि’, ‘साक्ष्य’ एवं ‘संवाद’ में संपादन सहयोग करने वाले मधु जी राष्ट्रीय फिल्म सेंसर बोर्ड (पूर्वी क्षेत्र) का सदस्य भी रहे हैं।