फिर लौट आया हूँ मेरे देश
फिर लौट आया हूँ मेरे देश! यह निबंध-संग्रह मेरे चुने हुए ललित निबंधों का संकलन है। निबंध मेरी मुख्य रचना विधा नहीं रहा है किंतु फिर भी उसके साथ भी काफी दूर तक चला हूँ। मैंने कई विधाओं में रचना की है। कथ्य ने जिस विधा की माँग की, उसके साथ हो लिया। चूँकि हर विधा की रचना की माँग सहज भाव से मेरे अंतर से उपजी है अतः उसमें अपनापन है। कथ्य हो या शिल्प, सभी में मेरा अपनापन है। मेरी केन्द्रीय विधा कविता और कथा की प्रासंगिक उपस्थिति ने मेरे निबंधों को अपनी छवि प्रदान की है। मैंने अनेक विषयों और अनुभवों को लेकर निबंध-रचना की है। प्रमुखतः सब में अपने गाँव के विविध आयामों के साथ रहा हूँ। गाँव की प्रकृति, तीज त्योहार, ऋतुएँ मौसम, अभाव संघर्ष, सुख दुख, रूढ़िग्रस्तता, मूल्य-चेतना और विविध प्रकार के कर्म इन निबंधों में उतरते रहे हैं। भारत मूलतः गाँवों का देश है और मैं शहर में रह कर बार-बार देश की ओर लौटता रहा हूँ। जन-जीवन से जुड़े हुए अन्य अनेक संदर्भ मेरे भीतर उतर उतर कर निबंध का रूप लेते रहे हैं।
– लेखक