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Dhaai Bund

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डॉ मधुबाला सिन्हा उन रचनाकारों में हैं जो साहित्य की दुनिया के किसी भी शोरशराबे से दूर पिछले कई दशकों से प्रेम की उदात्त भावनाओं और मानवीय संवेदनाओं का एक एकांत कोना रचती रही हैं। ‘ढाई बूंद’ उनकी कविताओं का दूसरा संकलन है। उनकी कविताओं का संसार बहुत बड़ा नहीं है, लेकिन अपनी सीमाओं में अबतक जितना भी उन्होंने रचा है उसमें उनकी संवेदनाओं का फैलाव अक्सर चकित करता है। प्रेम उनकी कविताओं के केंद्र में है। उनकी कविताओं की अंतर्वस्तु में हर कहीं वह तड़प, वह बेचैनी, वह आतंरिक खूशबू उपस्थित है जो दो लोग एक दूसरे के साथ रहकर भी महसूस करते हैं और अलग होकर भी। कवयित्री के पास प्रेम का ऐसा एक जीवंत संसार है जो हताशा और अवसाद की ओर नहीं, विस्तार और रचनात्मकता की ओर ले जाता है।

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